इन भारतीय साइंटिस्ट की वजह से भारत को नई पहेचान मिली विज्ञान
आज हम बात करने वाले है भारत के कुछ ऐसे साइंटिस्ट्स के बारे में जिन्होंने india को एक नई पहचान दी और इंडिया को वर्ल्ड में फेमस किया । Top indian seientist who famous Indian name in the world, साइंटिस्ट जो world में इण्डिया का नाम किया, Top 5 Indian seientist, top list Indian seientist ,
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1. SIR C V RAMAN
चंद्रशेखर वेंकटरमन का जन्म 1888 में तिरुचिरापल्ली मे हुआ था जो उस वक्त के ब्रिटिश इंडिया के मद्रास प्रोविंस में था जो आज का तमिलनाडु है।
वे 1940 बी में सिर्फ 16 साल की उम्र में मद्रास यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में गोल्ड मेडल से ग्रेजुएट हुए।
उनकी जिंदगी से एक तत्व जुड़ा हुआ है जब वह जहाज से यूरोप जा रहे थे तब उन्हें तब उन्हें गिलीशियस का कलर उन्हें नीला दिखाई दिया हैरान होकर उन्होंने जब इस पर इंडिया आकर research किया तो पाया
कि जब कोई वणीऀ प्रकाश ठोस और द्रव से गुजरता है तो उसमें आप अपतित प्रकाश के साथ अत्यंत तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश देखने में आता है।
1930 उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
वे साइंस के फील्ड में नॉवेल पुरस्कार पाने वाले first इंडियन ही नही बल्कि first ऐसियन थे।
2. होमी जहांगीर भाभा
होमी जहांगीर भाभा 1909 में एक पारसी परिवार में पैदा हुए थे और हमारे देश के महान न्यूक्लीय फिसिस (nuclear physis) थे।
जो टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान ( Tata Institute of Fundamental Research) TIFR के फाउंडर डायरेक्टर थे। उनका क्वांटम थ्योरी में काफी योगदान था।
ब्रिटेन में एक अच्छी जॉब छोड़ कर उन्होंने 1939 में कुछ दिनों के लिए सर C V Raman के अंडर इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में काम किए।
बाद के उन्हें एटॉमिक एनर्जी कमीशन का चेयरमैन बना दिया गया। जिनका काम था इंडिया के थोरियम रिजर्व से न्यूक्लीय रिएक्टर्स बना के उनसे बिजली पैदा करना ।
उन्हें The Father of Nuclear Energy कहा जाता है लेकिन वे न्यूक्लियर एनर्जी से Atom Bob's बनाने के खिलाफ थे।
क्योंकि वे न्यूक्लियर एनर्जी को Peaceful तरीके से यूज करने के फेवर में थे जिससे हमारे देश की गरीबी खतम हो सके।
1966 में एक प्लेन क्रश में उनकी डेथ हो गई ।
उनकी डेथ के बाद मुंबई की एटॉमिक एनर्जी का नाम बदलकर BHABHA ATOMIC RESEARCH CENTRE [BARC ] रखा गया।
3. डॉ॰ जगदीश चन्द्र बसु
डॉ जगदीश चंद्र बसु का जन्म 1858, मुंशीगंज, बांग्लादेश में हुआ था।
डॉ॰ जगदीश चन्द्र बसु भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे इनमें बहुत सारे टेलेंट थे ।
इन्हे भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान तथा पुरातत्व का उन्हें गहरा ज्ञान था। वे पहले वैज्ञानिक थे वनस्पति विज्ञान में उन्होनें कई महत्त्वपूर्ण खोजें की। साथ ही वे भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्त्ता थे।
जिहोने प्लांटस और एक्सपेरिमेंटल science की foundaton रखी।
JC बसु पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया। और इसके बाद सेमिकोंटर्स जंक्शन का यूज करके रेडियो तरंग को didect किया था। जिन्हे वायरलेस टेक्नोलॉजी कहते है
उन्होने क्रेस्कोग्राफ (crescograph) पौधों की वृद्धि को मापने वाला एक यन्त्र है। इसका विकास १९२८ में जगदीश चन्द्र बोस ने किया था।
जिसके की ये पता लगा की प्लांटस भी इन्सानों की तरह दर्द सुख दुख को फील कर सकते है और प्लांटस में भी मौसम और तप का भी प्रभाव होता है।
4. विक्रम सारा भाई
विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने 76 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं 40 संस्थान खोले।
इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन 1966 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ॰ विक्रम साराभाई के नाम को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकता।
और इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद के फाउंडर मेम्बर भी थे।
1947 में जब वो 28 ईयर्स के थे तब उन्होंने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (Physical Research Laboratory) फॉर्म की थी
और 1957 सोवियत संघ (Soviet Union) के स्पुतनिक सैटलाइट लांच करने के बाद उन्होंने हमारी गवर्मेन को स्पेस रिसर्च प्रोग्राम के महत्व को समझाया और indian space research organisation (ISRO) को संगठित किया।
जिसने पहला सैटलाइट Aryabhata spacecraft को लांच किया
इसी वजह से उन्हें The father of space programme कहा जाता हैं।
तिरुवंतपुरम में इसरो ने उनके नाम पर
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (Vikram Sarabhai Space Centre) है और अभी हाल में ही चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम विक्रम उन्ही की याद में रखा गया था ।
5 A P J अब्दुल कलाम
Apj Abdul Kalam एक ऐसे वैज्ञानिक थे जो रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) DRDO और ISRO मे एयरोस्पेस इंजीनियर में काम किया है ।
उन्होने अपना करियर इंडियन आर्मी के लिए छोटे helicopter डिजाइन करते हुए स्टार्ट किया था बाद में उन्होंने विक्रम सारा भाई के साथ एक कमेटी में काम किया।
1969 में ISRO transfer होने के बाद as a project डायरेक्टर उन्होंने हमारे स्वदेशी सैटलाइट लांच vehecal-3 पर भी काम किया ।
इसी एसएलवी-3 July 1993 रोहिणी (Rohini) satelight Earth के ऑर्बिट successfully delivered किया
1997 में मैसेल मैंन APJ अब्दुल कलाम को भारत रत्न दिया गया। और 2002 से 2007 APJ अब्दुल कलाम
हमारे देश के 11वे प्राइम मिनिस्टर थे।
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